बालोतरा टाइम्स / सिणधरी।
पश्चिमी राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली मरूगंगा लूणी नदी एक बार फिर अपने उफान पर थी, लेकिन इस बार यह केवल तबाही नहीं, बल्कि इंसानियत और बहादुरी की एक मिसाल भी लेकर आई। सिणधरी गांव के जांबाज तैराकों – शंभुलाल माली, लक्ष्मण माली, पारसराम, मोहन भाई और अमराराम सुथार ने लूणी नदी के तेज बहाव में 24 घंटे से फंसे कई बेलों को मौत के मुंह से खींच निकाला। इस रेस्क्यू मिशन में मैसर्स कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार बाबुलाल सुथार का सहयोग निर्णायक साबित हुआ।
हादसा:
तेज बारिश के चलते लूणी नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। बहाव इतना तेज था कि किनारे पर बेल पानी में बहते हुए बीच धार में फंस गए। ग्रामीणों ने जब बेलों को डुबते देखा, तब तक अंधेरा हो चुका था और नदी की धारा और भी तेज हो गई थी।
नायकों की टीम उतरी मैदान में:
मंगलवार तड़के, जब कोई भी हलचल करने को तैयार नहीं था, तब सिणधरी के इन पाँच युवाओं ने बिना समय गंवाए बेलों को बचाने की ठानी। स्थानीय तैराकी कौशल, हिम्मत और इंसानी जज़्बे की मिसाल बनकर वे नदी में उतरे।
बाबुलाल सुथार ने पहुँचाई तकनीकी मदद:
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान, बाबुलाल सुथार ने तात्कालिक रूप से मजबूत रस्सियों, ट्रैक्टर, पुलियों की व्यवस्था की। उनके नेतृत्व में बनाए गए इंप्रोवाइज़्ड रेस्क्यू सिस्टम ने तैराकों को सुरक्षा प्रदान की और ऑपरेशन को सफलता तक पहुँचाया।
नायकों का संघर्ष:
धारा में डूबते-उतराते बेलों को तैराकों ने एक-एक कर बाहर निकाला। कई बार जान जोखिम में पड़ी, मगर इन नायकों ने हार नहीं मानी। मंगलवार दोपहर तक सभी बेल सुरक्षित बाहर आ चुके थे।
लोगों ने सराहा:
इस साहसिक घटना की पूरे क्षेत्र में चर्चा है। ग्राम पंचायत, स्थानीय प्रशासन, बुजुर्गों और युवाओं ने तैराकों और बाबुलाल सुथार को “मानवता के सच्चे रक्षक” बताया। कई वरिष्ठ ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि इन सभी को राजकीय सम्मान मिलना चाहिए।
बालोतरा टाइम्स की टीम इन जाबांजों को सलाम करती है। ऐसे ही उदाहरण हमें सिखाते हैं कि जब दिल में जज़्बा हो और साथ में हो ज़िम्मेदारी का एहसास, तब हर चुनौती छोटी हो जाती है।
– अरविंद थोरी, बालोतरा टाइम्स