श्री दमा राम जी मेघवाल (सरपंच, ग्राम पंचायत रामदेवरा)
“कठिन परिश्रम, सच्ची लगन और सकारात्मक सोच से कोई भी मंज़िल दूर नहीं।” ग्राम पंचायत रामदेवरा के सरपंच श्री दमा राम मेघवाल इसी सोच के साथ समाज और गाँव के समग्र विकास हेतु सतत प्रयासरत हैं। उनका जीवन स्वयं में एक प्रेरणा है — एक सामान्य ग्रामीण परिवेश से निकलकर पंचायत नेतृत्व तक का सफर, जो यह सिद्ध करता है कि यदि इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
जीवन यात्रा – मेहनत से मंज़िल तक
5 जुलाई 1993 को ग्राम रामदेवरा (पंचायत समिति पायला कला, जिला बाड़मेर) में जन्मे श्री दमा राम जी के पिता श्री घमाराम मेघवाल एक अग्रणी कृषक हैं और माता श्रीमती जमना देवी एक धार्मिक, संस्कारी और कुशल गृहिणी हैं।बचपन से ही मेहनती और शिक्षाप्रेमी स्वभाव के धनी दमाराम जी की प्रारंभिक शिक्षा मुण्डों की ढ़ाणी, फिर एंड अमरसिंह विद्यालय और बी.टी.एम. सिणधरी से हुई। स्नातक उन्होंने एम.बी.आर. कॉलेज, बालोतरा से पास किया। साल 2014 से 2019 तक आपने SBI बैंक – सिणधरी में बैंक मित्र सहायक के रूप में कार्य किया, जहाँ आपकी व्यवहार कुशलता और समर्पण ने आमजन में आपकी पहचान मजबूत की।
राजनीतिक सफर – जनसेवा का संकल्प
वर्ष 2020 में आपने सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा और 497 मतों से शानदार विजय हासिल की। आपकी कार्यशैली में पारदर्शिता, समाजसेवा और विकास की गूंज स्पष्ट दिखती है। आपका फोकस गाँव में शिक्षा, पेयजल, सड़क निर्माण, ब्लॉक व ग्रेवल सड़कें, ढाणियों में विद्युतीकरण और सम्पूर्ण ग्राम विकास है।
परिवार – परंपरा और प्रेरणा का संगम
आपके बड़े भाई चुनाराम, गोगाराम, मोहनलाल सभी उन्नत कृषक हैं, वहीं छोटे भाई राऊराम, दानाराम और लक्ष्मणराम शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बहनें नोजी और जेठी विवाहित हैं तथा छोटी बहन चनणी अध्ययनरत हैं। आपका विवाह श्रीमती दरिया मेघवाल (गाँव अमरपुरा) से हुआ है, जो एक सहृदय और परिवार को सशक्त समर्थन देने वाली महिला हैं।
समाज के लिए संदेश – एक शिक्षित समाज ही संगठित समाज
“शिक्षा से ही समाज की बुनियाद मजबूत होती है।” आपका मानना है कि बालिका शिक्षा, युवा एकता, कुरीतियों का विरोध, और ईमानदारीपूर्ण कार्य शैली समाज को प्रगति की ओर ले जाने की कुंजी हैं। युवाओं को चाहिए कि वे अपनी ऊर्जा को शिक्षा, व्यवसाय और नेतृत्व में लगाकर अपने माता-पिता, समाज और राष्ट्र का गौरव बढ़ाएं।प्रेरणा बनते नेताआज के समय में जहाँ राजनीति को अक्सर स्वार्थ से जोड़ा जाता है, ऐसे में श्री दमा राम मेघवाल जैसे जनप्रतिनिधि एक उम्मीद की किरण हैं, जो कहते हैं – “अपने पूर्वजों की धरोहर को जीवित रखना है तो नई पीढ़ी को जागरूक, शिक्षित और संगठित होना होगा।”
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