विशेष संवाद | बालोतरा टाइम्स
राजपूत समाज का इतिहास सदैव वीरता, त्याग और बलिदान की गाथाओं से ओतप्रोत रहा है। यह धरोहर हमें न केवल गौरव प्रदान करती है, बल्कि वर्तमान को दिशा देने का कार्य भी करती है। परंतु आज का युग बदल चुका है – अब समय तलवार का नहीं, कलम और शिक्षा का है। इसी सोच के साथ ग्राम पंचायत खुडाला के सरपंच श्री हड़मत (नारायण)सिंह राठौड़ समाज सेवा और ग्राम विकास की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। उनका मानना है कि निःस्वार्थ सेवा ही व्यक्ति के जीवन को उत्कृष्ट बनाती है और आत्मा को तेजस्विता प्रदान करती है। समाज सेवा से पहले स्वार्थ, दुर्भावना और दुराचार का त्याग आवश्यक है।
जीवन परिचय
श्री नारायण सिंह राठौड़ का जन्म 24 नवम्बर 1973 को ग्राम जालीखेड़ा (पंचायत समिति पायला कला, जिला बाड़मेर) में हुआ। इनके पिता स्वर्गीय श्री मेघसिंह जी राठौड़ एक सम्मानित समाजसेवी रहे, जबकि माता श्रीमती लहर कंवर भाटी एक आदर्श गृहिणी हैं। बचपन से ही कुशाग्र और कर्मठ रहे नारायण सिंह जी ने प्राथमिक शिक्षा जालीखेड़ा तथा नवम कक्षा तक की पढ़ाई भाटाला से पूरी की। कृषि कार्यों से जुड़े रहते हुए इन्होंने राजनीति में भी सक्रिय योगदान दिया। वर्ष 2010 से 2015 तक वार्ड पंच रहे, तत्पश्चात वर्ष 2015 से 2020 तक इनकी धर्मपत्नी श्रीमती हंस कंवर ग्राम पंचायत की सरपंच रहीं। वर्ष 2020 में स्वयं चुनाव लड़कर सरपंच निर्वाचित हुए, जिसमें 68 मतों से विजय प्राप्त की।

विकास की प्राथमिकताएँ
श्री राठौड़ का प्रमुख लक्ष्य ग्राम पंचायत खुडाला में चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करना है। उनकी प्राथमिकताओं में निम्न क्षेत्र शामिल हैं:
शिक्षा को बढ़ावा देना
पेयजल एवं सड़क सुविधा का विस्तार
ढाणियों का विद्युतिकरण
युवाओं में तकनीकी शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न करना उनकी सोच है कि यदि समाज शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम हो, तो स्वाभाविक रूप से बाकी क्षेत्रों में भी विकास संभव है।
पारिवारिक परिचय
आपका विवाह श्रीमती हंस कंवर जी चौहान (ग्राम – मोटा मेसरा, जिला – बनासकांठा) से हुआ। आपके दो संतानें – पुत्र ईश्वर सिंह एवं पुत्री राजू कंवर अध्ययनरत हैं।आपका पूरा परिवार प्रारंभ से ही समाजसेवा, शिक्षा और जनप्रतिनिधित्व की परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
प्रेरणादायक संदेश
“समाज में व्याप्त कुरीतियाँ और बुराइयाँ तब तक जड़ से समाप्त नहीं होंगी, जब तक युवा वर्ग शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सेवा के मार्ग पर नहीं चलेगा। हमें आधुनिक तकनीक और विचारधारा के साथ अपने मूल्यों और संस्कृति को समेटकर आगे बढ़ना होगा।”
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