विशेष संवाद | बालोतरा टाइम्स
“शिक्षा के बिना समाज अंधकारमय है, और नैतिक मूल्यों के बिना शिक्षा अधूरी है।”
आज का समाज आधुनिकता की अंधी दौड़ में व्यर्थ के दिखावे और पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण की ओर बढ़ रहा है। इस परिवर्तन ने हमारे नैतिक मूल्यों और सामाजिक मर्यादाओं को गहरा आघात पहुँचाया है। ऐसी स्थिति में युवा वर्ग को संस्कारवान शिक्षा प्रदान कर भारतीय संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा करना समय की सबसे बड़ी मांग है।
ग्राम पंचायत दरगुड़ा के सरपंच प्रतिनिधि श्री बाबूलाल चौधरी(पटेल) का मानना है कि – “ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, दूरदर्शिता और कठोर परिश्रम जैसे मूलभूत सिद्धांतों को आत्मसात कर ही हम समाज को सशक्त और विकसित बना सकते हैं।”
वे कहते हैं कि शिक्षा ही वह दरवाज़ा है जिससे होकर समाज का हर क्षेत्र उन्नति की ओर अग्रसर हो सकता है। एक शिक्षित समाज न केवल अपनी कमजोरियों को पहचानता है, बल्कि उन्हें दूर करने का प्रयास भी करता है। आज के युवाओं को महज़ नौकरी की तलाश में न भटकते हुए, तकनीकी दक्षता और स्वरोजगार की ओर उन्मुख होना चाहिए।
श्री बाबूलाल चौधरी(पटेल) का यह भी कहना है कि – “स्वरोजगार को बढ़ावा देना युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा और आर्थिक रूप से पूरे समाज को मजबूत करेगा।”

श्रीमती अणसी देवी चौधरी – एक प्रेरणादायी नेतृत्व
ग्राम पंचायत दरगुड़ा की प्रथम निर्वाचित सरपंच श्रीमती अणसी देवी चौधरी सामाजिक सौहार्द और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। आपका जन्म ग्राम आमलियों की वाणी (पंचायत समिति पायला कला, जिला बाड़मेर) में हुआ। बचपन से ही समाजोत्थान में रुचि रखने वाली अणसी देवी ने शिक्षा में भी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आपने चंडीगढ़ से एएनएम प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा 12वीं तक की शिक्षा स्वयंपाठी रूप में पूरी की।
वर्ष 2020 में नवगठित ग्राम पंचायत दरगुड़ा से सरपंच पद पर 65 मतों से जीत दर्ज कर आपने इतिहास रचा। आपका लक्ष्य क्षेत्र में चहुंमुखी विकास और महिला भागीदारी को सशक्त बनाना है।
एक कर्मठ परिवार – विकास का मूल आधार
ससुर श्री भूराराम चौधरी अग्रणी कृषक हैं,
सास श्रीमती केशी देवी कुशल गृहणी,
पति श्री भंवरलाल चौधरी उन्नत कृषक हैं,
अन्य पारिवारिक सदस्य भी शिक्षित, जागरूक एवं समाज सेवा में संलग्न हैं।
बाबूलाल पटेल – युवा दिशा और तकनीकी समर्पण का समन्वय
सरपंच प्रतिनिधि श्री बाबूलाल पटेल छात्र जीवन में उत्कृष्ट क्रिकेट खिलाड़ी रह चुके हैं। वर्तमान में बिजली विभाग में तकनीकी सहायक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरलता, व्यवहारिकता और अपने कलबी समाज में मजबूत साख के कारण उनकी पहचान एक जनहितैषी प्रतिनिधि की है।
युवाओं को संदेश
“तकनीकी शिक्षा के साथ आत्मनिर्भरता ही आज के युवा की सबसे बड़ी पूंजी है।”
बाबूलाल का स्पष्ट संदेश है – युवाओं को सिर्फ सरकारी नौकरियों के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि स्वरोजगार, तकनीकी दक्षता और आत्मबल के जरिए समाज का नेतृत्व करना चाहिए। यदि युवा नशाखोरी और सामाजिक विकृतियों का परित्याग कर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो निश्चित रूप से एक शिक्षित, सशक्त और विकसित भारत का निर्माण संभव है।
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