विशेष संवाद | बालोतरा टाइम्स
समाज का समग्र विकास तब ही संभव है जब हम अपने समाज के सबसे कमजोर वर्ग को मुख्यधारा में शामिल करें। समाज के विकास में किसी एक वर्ग की प्रगति नहीं, बल्कि हर वर्ग की समान उन्नति आवश्यक है। समाज के इस कमजोर वर्ग को उठाने के लिए हमें एक सशक्त और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जो न सिर्फ उनकी समस्याओं को समझे, बल्कि उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम भी उठाए।
श्री बांकाराम जांगिड़ का दृष्टिकोण-
पंचायत समिति सदस्य श्री बांकाराम जांगिड़, जिनका जीवन खुद समाजसेवा और संघर्ष की एक मिसाल है, समाज के कमजोर वर्ग को आगे लाने के लिए समर्पित रहे हैं। उनका मानना है कि “समाज के नेतृत्वकर्ता ईमानदारी और कर्मठता से कार्य करें और आमजन की समस्याओं को गहरी समझ के साथ हल करें।” श्री जांगिड़ का जीवन न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों का प्रतीक है, बल्कि यह समाज के हर तबके को एक नई दिशा देने की प्रेरणा भी देता है। उनकी कार्यशैली और उनके दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि छोटे स्तर पर कार्य की शुरुआत कर, उसे अपनी दक्षता और व्यवहार कुशलता से नई ऊँचाइयों तक पहुंचाना संभव है।
विशेष रूप से उस क्षेत्र में जहां संसाधनों की कमी होती है और सामाजिक कुरीतियाँ पाई जाती हैं। श्री जांगिड़ का यह दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि किसी भी समाज को केवल बाहरी मदद से नहीं, बल्कि अंदर से जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से मजबूत किया जा सकता है।
शिक्षा और रोजगार –
समाज के लिए दो आधार स्तंभ – श्री जांगिड़ ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि शिक्षा और रोजगार के अवसर समाज के हर वर्ग तक पहुंचें। उनका विश्वास है कि शिक्षा को बढ़ावा देने और युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में मार्गदर्शन देने से ही समाज में स्थायी बदलाव संभव है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का विस्तार करना और खासकर महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देना उनके प्रयासों का अहम हिस्सा रहा है। श्री जांगिड़ की पहल से यह स्पष्ट होता है कि हमें किसी भी समस्या का समाधान सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सामाजिक सहभागिता और सक्रियता से करना होगा। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पंचायत समिति सदस्य के पद पर रहते हुए, प्राथमिकता दी है कि हर गांव में शिक्षा, पेयजल, सड़कें, विद्युतिकरण और अन्य बुनियादी सुविधाओं को सुलभ बनाया जाए।
आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण का महत्व
श्री बांकाराम जांगिड़ का पारिवारिक इतिहास भी सामाजिक कार्यों और समाज सेवा से जुड़ा हुआ है। उनके पिताजी स्व. श्री रायचन्द राम जी जांगिड़ एक अग्रणी कृषक और फर्नीचर व्यवसायी थे, जिनका समाज में विशेष स्थान था। उनकी माताजी स्व. श्रीमती जीया देवी भी एक कुशल गृहिणी और समर्पित समाज सेविका थीं। यह पारिवारिक माहौल श्री जांगिड़ के व्यक्तित्व को सामाजिक कार्यों में समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है।
समाज का समग्र विकास –
एक संयुक्त प्रयास हमारा मानना है कि समाज का चहुंमुखी विकास केवल तब ही संभव है, जब समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिले और उन्हें अपने हक के लिए संघर्ष न करना पड़े। श्री जांगिड़ का संदेश स्पष्ट है – “समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकार मिले, उसके लिए सही रास्ते पर चलने का अवसर मिले, और हम सब मिलकर समाज के कमजोर वर्ग को एक मजबूत मंच दें।
“समाज के समग्र विकास के लिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य करें। चाहे वह शिक्षा हो, रोजगार हो या सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में कदम हो, हम सबको मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा।
श्री बांकाराम जांगिड़ का जीवन हमें यही सिखाता है कि यदि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे और समाज के हर तबके को साथ लेकर चले, तो समाज का हर वर्ग एक नए उन्नति के मार्ग पर कदम रख सकता है।
अरविंद थोरी, लेखक: संपादक, बालोतरा टाइम्स —(यह लेख श्री बांकाराम जांगीड़ के दूरदर्शी सोच एवं सार्वजनिक सेवा के समर्पण पर आधारित है।)