श्री चुन्नीलाल माचरा (प्रधान – पंचायत समिति, पायला कला)
भारत, जिसे हम अपनी मातृभूमि समझते हैं, वह विविधताओं से भरपूर एक अद्भुत देश है। यहाँ की संस्कृति, यहां के लोग, और यहां की आस्थाएँ दुनिया भर से अनोखी हैं। भारत में लोकतंत्र की नींव इतनी मजबूत है कि वह न सिर्फ भारत के नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी एक मिसाल बनता है। लेकिन इस सम्मानजनक राष्ट्र की जड़ों में कुछ समस्याएं भी हैं, जो इस महान भूमि को आघात पहुँचा रही हैं। बेरोजगारी, कुपोषण, बढ़ती आबादी, शिक्षा का अभाव और ग्रामीण क्षेत्रों की दयनीय स्थिति आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इन सब समस्याओं के बावजूद, हमारे समाज को अग्रसर करने के लिए हमें चुनौतियों का सामना करना होगा।हमारे गांवों का भविष्य अनिश्चितता से घिरा हुआ है, क्योंकि बड़े परिवारों के विभाजन और कृषि योग्य भूमि के संकुचन से उत्पन्न संकट ने इस क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। बावजूद इसके, कृषि कार्य हमारे राष्ट्र का प्राणाधार बना हुआ है। इसलिए, हमें शिक्षा की दिशा में सुधार लाकर, युवाओं के लिए एक सशक्त और समृद्ध भविष्य का निर्माण करना होगा।
श्री चुन्नीलाल माचरा का जीवन परिचय –
श्री चुन्नीलाल माचरा का जन्म 16 जुलाई 1978 को ग्राम माण्डवला, पंचायत समिति पायला कला, जिला बाड़मेर में हुआ। आपके जीवन का मार्ग शिक्षा और समाज सेवा की ओर मोड़ा गया। आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पायला कंला से की और उच्च शिक्षा सिणधरी तथा बाड़मेर से प्राप्त की। आपने डी फार्मा की डिग्री बैंगलोर से हासिल की। शिक्षा के साथ-साथ आपके खेलों में भी गहरी रुचि थी, और आप फुटबाल के जिला स्तरीय खिलाड़ी रहे। राजनैतिक क्षेत्र में आपके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। आपने ग्राम पंचायत कादानाड़ी से वार्ड पंच के रूप में शुरुआत की और बाद में पंचायत समिति पायला कला के प्रधान पद पर आसीन हुए। आपके मुख्य लक्ष्य में शिक्षा, पेयजल, सड़कें, और गांवों का विद्युतीकरण जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार है।

पारिवारिक परिचय –
श्री चुन्नीलाल माचरा का परिवार समाज सेवा और शिक्षा प्रसार में सदैव अग्रणी रहा है। आपके पिता श्री जोधाराम माचरा ने भी वार्ड पंच के रूप में अपनी सेवा दी है। आपकी माता जी, श्रीमती सोनी देवी, एक कुशल ग्रहणी हैं। आपके परिवार में डॉ. रमीक चौधरी, जो एम.बी.बी.एस. की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, श्री जसाराम माचरा, जो एक कुशल व्यवसायी हैं और श्री विकाश चौधरी, जो एक फार्मेसिस्ट हैं। श्री चुन्नीलाल माचरा का विवाह श्रीमती तीजो देवी से हुआ और उनके दो संतानें हैं – एक पुत्र ओमप्रकाश माचरा, जो एम.बी.बी.एस. में अध्ययनरत हैं और एक पुत्री ममता चौधरी, जो स्नातक में पढ़ाई कर रही हैं।
संदेश-
आज के युवा वर्ग को जिस दिशा में सोचने की आवश्यकता है, वह दिशा निजी व्यवसाय की ओर है। शिक्षा प्राप्त करके वे स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। हमारे समाज में चारित्रिक गुणों और संस्कारों का समावेश बाल्यकाल से ही होना चाहिए। समाज में बदलाव की आवश्यकता है और बदलाव की शुरुआत शिक्षा से होती है। यदि युवा अपने कौशल और व्यवहार कुशलता से व्यवसाय में कदम रखें तो न केवल वे स्वयं सशक्त होंगे, बल्कि अपने समाज और राष्ट्र को भी सशक्त बना सकेंगे।आज, जब हम शिक्षा और स्वरोजगार की बात करते हैं, तो यह हमारे समाज का एक स्वर्णिम भविष्य बनाने का अवसर है। हमें खुद को और अपने समाज को एक नई दिशा में आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी शक्ति और प्रेरणा से काम करना होगा। शिक्षा और रोजगार के माध्यम से हम समाज में बदलाव ला सकते हैं, जिससे हर व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहतर हो। श्री माचरा का यह संदेश न केवल हमारे गांवों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा है।
लेखक: संपादक, बालोतरा टाइम्स —(यह लेख श्री चुन्नीलाल माचरा के जीवन परिचय एवं सार्वजनिक सेवा के समर्पण पर आधारित है।)