जीनगर दंपती ने बेटी के जन्मदिन पर माता-पिता ने किया रक्तदान, पहले ही ले रखा है देहदान का संकल्प

पाटोदी/ बालोतरा टाइम्स से अरविंद थोरी की रिपोर्ट

पाटोदी के रायचंद और दिव्या जीनगर ने बेटी नव्या के जन्मदिन को बनाया सेवा का पर्व, समाज को दिया अनुपम संदेश

समाज तब आगे बढ़ता है जब उसमें रहने वाले लोग निजी खुशी को सार्वजनिक भलाई से जोड़ने का प्रयास करते हैं पाटोदी गांव के रायचंद जीनगर और उनकी पत्नी दिव्या जीनगर ने ऐसा ही एक अनुकरणीय उदाहरण पेश करते हुए बेटी नव्या के जन्मदिन को “सेवा पर्व” में बदल दिया

इस खास अवसर पर दंपती ने राजकीय जिला नाहटा अस्पताल बालोतरा में रक्तदान कर समाज को यह संदेश दिया कि जीवन के खुशी के पल केवल उत्सव मनाने तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें जरूरतमंदों की मदद के माध्यम से सार्थक भी बनाया जा सकता है

सेवा से सजी संकल्प की कहानी

रायचंद और दिव्या जीनगर ने एक साल पहले मेडिकल कॉलेज जोधपुर में अपनी बेटी नव्या के जन्मदिन के मौके पर देहदान का संकल्प भी लिया था। यह जानकारी देते हुए रामदेव रक्त कोष सेवा संस्थान के अध्यक्ष सोनू जीनगर ने कहा “मैं रायचंद और दिव्या जीनगर का दिल से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने समाज के लिए एक प्रेरणादायक कदम उठाया। मेडिकल कॉलेज जोधपुर में एक वर्ष पूर्व बच्ची के जन्मदिन पर देहदान का संकल्प लेना और अब रक्तदान करना, दोनों ही कार्य समाज सेवा की मिसाल हैं

उनका यह समर्पण न केवल समाज में जागरूकता का संदेश देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करता है रक्तदान और देहदान जैसे कदम समाज में जागरूकता और मानवता को नया आयाम देते हैं

रायचंद जीनगर ने कहा “बेटी का जन्म हमारे जीवन का सबसे आनंदित क्षण था। हमने तय किया कि इस खुशी को सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखेंगे रक्तदान के जरिए किसी की जान बचाना हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार है

नारी शक्ति बनी प्रेरणा का स्तंभ

इस अवसर पर दिव्या जीनगर की भूमिका भी अत्यंत प्रशंसनीय रही। एक महिला, एक मां और एक नागरिक के रूप में उन्होंने जिस प्रकार सेवा में भागीदारी निभाई, वह समाज में नारी शक्ति की सशक्त उपस्थिति का संदेश देता है

समाज को मिला संदेश — जन्मदिन केवल जश्न नहीं, सेवा का अवसर भी बन सकता है।

अस्पताल प्रशासन सहित वहां उपस्थित लोगों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह दंपती वास्तव में समाज के लिए प्रेरणा है जब जन्मदिन जैसे निजी अवसरों को सार्वजनिक भलाई के कार्यों से जोड़ा जाता है, तब समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव पड़ती है।

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